भांग का नाम आते ही दिमाग में सबसे पहले नशा ही आता है। लेकिन ये भांग कितनी उपयोगी हो सकती है इसे समझने के लिए आप उत्तराखंड में हेम्प पर काम करने वाली नम्रता से मिल सकते हैं। दिल्ली में रहकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई के बाद नम्रता ने गाँव लौटने का फैसला किया। यहां आकर नम्रता ने भांग पर काम करना शुरू किया। उन्होंने भांग के पौधे से कई तरह के उत्पाद बनाने का स्टार्टअप शुरू कर दिया। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के कंडवाल गाँव की रहने वाली नम्रता ने हेम्प एग्रोवेंचर्स स्टार्टअप्स शुरू किया है। इसमें उनका साथ दिया उनके पति गौरव दीक्षित और भाई दीपक कंडवाल ने। वो भांग के के बीजों और रेशे से रोज़ इस्तेमाल किए जाने वाले सामान तैयार कर रहे हैं।उनके इस स्टार्ट अप को बहुत जल्दी पहचान मिल गई जिसने उनका हौसला भी बढा दिया है।


नम्रता का ये स्टार्टअप इतना आसान भी नहीं था। उनके इस काम में हाथ बंटाया उनके पति आर्किटेक्ट गौरव कंडवाल ने।नम्रता उत्तराखंड के यमकेश्वर की रहने वाली हैं जबकि गौरव भोपाल के रहने वाले हैं। पेशे से दोनों ही आर्किटेक्ट हैं। लेकिन दोनों को ही कुछ अलग करने का नशा था लिहाज़ा उनहोंने उत्तराखंड में ही कुछ नया करने का प्लान किया। काफी रिसर्च के बाद उन्होंने पहाड़ पर उगने वाले भांग के पौधों को रोजगार का जरिया बनाने का फैसला लिया। इससे न सिर्फ भांग के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा बल्कि पहाड़ के गांवों से होने वाले पलायन पर भी रोक लग सकेगी। उत्तराखंड राज्य में 3.17 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर है। यहां सिंचाई के साधन न होने, बंदरों, सुअर व अन्य जंगली जानवरों के कारण पलायन लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में भांग की खेती से पलायन रोकने का रास्ता निकल सकता है।
बदलते वक्त के साथ अब उत्तराखंड के युवा भी भांग की उपयोगिता को समझने लगे हैं। यही वजह है कि भारत में भी भांग पर काफी काम हो रहा है। नम्रता भांग के बने उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग भी कर रहे हैं।


उत्तराखंड में इसकी उपयोगिता के बारे में नम्रता कहती हैं, “अगर हम उत्तराखंड की बात करें तो ये बेस्ट मटेरियल है, क्योंकि ये बहुत हल्का होता है, क्योंकि हमारा जोन भूकंप वाला पड़ता है, इसलिए ये हमारे यहां के लिए बहुत सही है। सीमेंट पानी सोखता है, जिससे सीलन की वजह से खराब हो जाता है, जबकि ये पानी सोखता है और छोड़ता है, जैसे कि सांस ले रहा हो। ये अग्निरोधी भी होता है, हमने इसका टेस्ट भी कर रखा है।
नम्रता के साथ स्टार्टअप शुरू करने वाले उनके भाई दीपक बताते हैं, “इसके फाइबर से हमने डायरी भी बनाई है और इसके बीज से हमने तेल निकाला है, जिसमें ओमेगा 3, 6, 9 के साथ ही प्रोटीन कंटेंट भी बहुत ज्यादा है। खास बात यह है कि भांग से निर्मित उत्पादों को सात से आठ बार तक रिसाइकिल किया जा सकता है। देश में जल्द ही भांग के पौधों से बनी ईंटों से बनाए घर और स्टे होम नजर आएंगे। भांग से बायोप्लास्टिक तैयार कर प्रदूषण पर भी रोक लगाई जा सकती है। बायोप्लास्टिक को आसानी के प्रयोग किया जा सकता है। गौरव अपने गांव में भांग के ब्लॉक बना रहे हैं, जिससे वे घर बनाकर होमस्टे योजना शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।
कंडवाल गांव में इस स्टार्ट अप के ज़रिए एक लघु उद्योग लगाया गया है, जहां पर भांग से साबुन, शैंपू, मसाज ऑयल, ब्लॉक्स इत्यादि बनाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि इन्हें बनाने के लिए यहां बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है और महिलाएं अपने ही गांव में रोजगार पाकर खुश हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी की तारीफ
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न केवल इनके काम की तारीफ की, साथ ही स्टार्टअप शुरू करने के लिए इनकी मदद भी की है।
नम्रता के इस स्टार्टअप को नेपाल में आयोजित एशियन हेंप समिट-2020 में बेस्ट उद्यमी का भी पुरस्कार भी मिला है, इस समिट में विश्व के हेंप पर आधारित 35 अलग-अलग स्टार्टअप ने हिस्सा लिया था। इन सबके बीच हेम्प एग्रोवेंचर्स स्टार्टअप्स को बेस्ट उद्यमी का पुरस्कार मिला।