कोरोना वायरस ने कइयों की ज़िन्दगी पलट के रख दी है। कोई अथाह संकट में घिरा है तो किसी ने खुद को कोरोना के संकट काल में दूसरों की मदद के लिए समर्पित कर दिया। लेकिन कुछ ऐसे हैं जो इस मुश्किल घड़ी में भी अपनी सोच से नेक काम करने की दिलेरी दिखा रहे हैं। उत्तराखंड में वापस लौटे प्रवासियों को पहले क्वारंटीन सेंटर में वक्त गुज़ारना होता है। ये ऐसा मुश्किल वक्त होता है जो हर किसी को परेशान करता है। कोई यहां से जल्दी भागने की फिराक में रहता है तो कोई यहां की सुविधाओं से आक्रोशित होकर लड़ाई झगड़ा करने में अपना समय व्यर्थ करता है। लेकिन कुछ ऐसे भी है जिन्होंने इसी क्वारंटीन काल में अपनी रचनात्मकता से समाज के लिए एक प्रेरणादारी मिसाल पेश की है।


अब इस परिवार से मिलिए… नेगी परिवार को 14 दिन के लिए क्वारेंटीन सेंटर में अपना वक्त बिताने के लिए एक स्कूल में जगह दी गई। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू ब्लॉक के असिंगी गांव में प्राथमिक विघालय को एक क्वारेंटीन सेंटर बनाया गया जहां इस नेगी परिवार को ठहराया गया। ये परिवार दिल्ली से अपने गांव पहुंचा था लिहाज़ा सरकार द्वारा तय शर्तों के आधीन इस परिवार को 14 दिन के लिए क्वारेंटीन सेंटर में वक्त गुज़ारना था। कोरोना के चलते ये प्राथमिक विद्यालय को बंद हुए करीब दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका था जिसके चलते झाड़-झंकाड़, झाड़ियों और घास-फूस ने इस विघालय को घेर लिया। इस विद्यालय की क्यारियां व फुलवारी वगैरह भी सब बर्बाद हो चुकी थीं। लिहाज़ा सरोज नेगी और उनकी पत्नी कामिनी नेगी ने अपने बच्चों संग इस स्कूल की काया पलटने की ठान ली। यानी क्वारेंटीन के समय का सदुपयोग करते हुए इस परिवार ने विद्यालय की रंगत दोबारा लौटाने का काम किया। ये परिवार सुबह से लेकर शाम तक स्कूल को साफ करने, झाड़-झंकाड़, झाड़ियों और घास-फूस को साफ करने, पेड़ पौधों को पानी देने में लगा रहा। जिससे स्कूल पुराने दिनों की तरह फिर से आबाद हो गया। इस दौरान इस दपंत्ति के अलावा बच्चों ने भी अपना पूरा योगदान दिया।

