काम करता तो हर कोई है लेकिन कुछ ही लोग अपने काम से समाज को प्रेरित कर पाते हैं। उत्तराखंड में पर्यावरण बचाने के लिए कई लोग काम कर रहे हैं। आने वाली पीढ़ी को सुनहरा भविष्य देने के लिए नेक की काम की मुहिम चलाई जा रही है। प्लास्टिक मौजूदा वक्त में पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। खुद केंद्र सरकार ने इस तरफ काम करना शुरू कर दिया है। प्लास्टिक का इस्तेमाल तो मनुष्य ने किया लेकिन बाद में फेक दिया। आलम यह हो गया है कि प्लास्टिक अब सबसे ज्यादा प्रदूषण व गंदगी फैला रहा है। कई रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे भोजन में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाता है। सबसे ज्यादा प्लास्टिक समुद्र में पाया जाता है जो मछलियों के लिए खतरा है।
प्लास्टिक का कुछ तो करना होगा
टूथब्रश और वॉटरबोटल्स से लेकर पैकेजिंग तक, दशकों से, प्लास्टिक हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा रही है। 1950 के दशक से, हमने 8.5 बिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है। अभी भी लगभग 60 प्रतिशत प्लास्टिक लैंडफिल में जाती है। प्लास्टिक कचरे रीसायकल करने के लिए तमाम संस्थानों काम कर रही है। ऐसा ही काम उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हरटोला गाँव के कपल ने किया है। पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर उन्होंने बोतलों से पूरे चार कमरों का एक घर बनाया है।


उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड पहुंचा कपल
कपल का नाम दीप्ति शर्मा और अभिषेक शर्मा है। पहाड़ों में यात्रा करना दोनों को काफी पसंद था। लेकिन यात्रा के दौरान उनका सामना प्लास्टिक के कूड़े से होता था जो हरियाली की सुंदरता पर एक दाग था। उन्होंने लक्ष्य बनाया कि पहाड़ से प्लास्टिक को दूर करेंगे। प्लास्टिक को रिसाइकिल करना का प्लान बनाया, यह फैसला उन्होंने साल 2016 में लैंसडाउन की यात्रा के दौरान किया। दोनों उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन पहाड़ों में रहकर पर्यावरण को जीवन देने का फैसला कर चुके हैं।

