

पिथौरागढ़: राज्य पहले से ज्यादा स्मार्ट होने की तरफ बढ़ रहा है। पलायन कर चुके लोग वापस लौट रहे हैं और स्वरोजगार करने पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए वह पढ़ाई भी कर रहे हैं जिससे की उन्हें ज्ञान मिल सके की किस तरीके का काम उनके लिए बेहतर होगा। इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो नौकरी छोड़कर स्वरोजगार के रास्ते पर चल पड़े हैं। इस तरह की कई स्टोरी हम आप लोगों के सामने ला चुके हैं लेकिन आज हमारे पास एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिन्होंने पहले देश की सेवा की और अब वह उत्तराखंड की सेवा कर रहे हैं। युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
रिटायर्ड फौजी शंकर सिंह भैंसोड़ा पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले हैं। यह नाम सोशल मीडिया पर इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल के लिए वायरल हो चुका है। सबसे खास बात ये है कि शंकर सिंह भैंसोड़ा अपने काम के अलावा युवाओं को प्रेरित करने पर जोर देते हैं। वह कहते हैं कि हमारा काम हमारी पीढ़ी का भविष्य तैयार करेगा।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ के थल क्षेत्र के बलतिर में स्वरोजगार करने से पहले शंकर सिंह ने 17 साल तक असम राइफल्स में देश की सेवा की। वह चाहते तो पेंशन के सहारे अपना जीवन व्यतीत करने का फैसला कर सकते थे लेकिन उन्होंने गांव में पलायन और बेरोजगारी देखी। इसके बाद उन्होंने फैसले किया कि वह खेती व अन्य पशुपालन का कार्य करेंगे ताकि क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के मौके मिले। उन्होंने गांव में 50 साल से बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया। सबसे पहले उन्होंने शानदार बगीचा तैयार किया। यहां वो फल-फूल और सब्जी उत्पादन के साथ पशुपालन और मछली पालन का काम भी कर रहे हैं। इसमें उन्होंने गांव के लोगों का सहयोग मिला।
शंकर को भी पता था कि कामयाबी के रास्ते पर चलने के लिए उन्हें गांव के लोगों के लिए रोजगार के द्वार खोलने पड़ेंगे। धीरे-धीरे उनकी टीम बड़ी होती गई और उनके साथ गांव के 250 लोगों जुड़े हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से बलतिर गांव पहुंचते हैं। लोग उनसे खेती के टिप्स भी लेकर जाते हैं। शंकर से जो भी मिलता है उन्हें वह स्वरोजगार करने की सलाह देते हैं। उन्हें एक साल में करीब 4-5 लाख रुपए की कमाई हो जाती है और यह देखकर कई लोग अपने स्वरोजगार के सपने को जीने लगें हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग का फॉर्मूला शंकर के लिए कमाल कर गया है। 60 साल के शंकर सिंह भैंसोड़ा सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। कई लोगों का कहना है कि शंकर ऐसा युवाओं को प्रेरित करने के लिए करते हैं। उन्हें सोचने पर मजबूर करते हैं कि अगर इस उम्र का व्यक्ति इतनी ऊर्जा के साथ काम कर सकता है तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं? आपने फिल्म Holiday: A Soldier Is Never Off Duty जरूर देखी,इसका मतलब है कि एक जवान कभी छुट्टी पर नहीं रहता है और शंकर के लिए यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है, क्योंकि रिटायर होने के बाद भी वह युवाओं को रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।