

गुरुवार को उत्तराखंड में 16 IAS अधिकारियों के तबादले हुए। इस लिस्ट में पूरे राज्य में अपनी खास कार्यशैली के लिए विख्यात IAS मंगेश घिल्डियाल का नाम भी शामिल था। उनका ट्रांसफर रुद्रप्रयाग से टिहरी कर दिया गया है। वह वहां भी डीएम का पद संभालेंगे। इस खबर के सामने आने के बाद IAS मंगेश के तबादले पर रुद्रप्रयाग की जनता ने दुख जाहिर किया तो वही टिहरी की जनता खुश नजर आई। दोनों ही जिलों के वासियों ने इस शासन के इस फैसले पर प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर दी।
जिलावासी नाखुश
खबर तो यह भी है कि रुद्रप्रयागवासी नहीं चाहते हैं कि IAS घिल्डियाल जिले से जाए। इसके लिए जिले के विभिन्न संगठनों, जनता व व्यापारियों ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। कहा है कि कोरोना जैसी महामारी के समय बेहतर कार्य करने वाले डीएम का ट्रांसफर करना उचित नहीं है। तत्काल जनभावनाओं को देखते हुए इस पर रोक लगाई जाए। कुछ दिन पूर्व ही डीएम साहब का वीडियो वायरल हुआ था। ये वीडियो प्रवासियों के लिए था। उन्होंने पहाड़ी भाषा में लोगों को चेतावनी दी थी कि वह लॉकडाउन व कोरोना बचाव हेतु जारी सभी नियमों का पालन करें अन्यथा प्रशासन को मजबूर होकर सख्त कार्रवाई करने पड़ेगी, फिलहाल रुद्रप्रयाग में कोरोना वायरस का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।


बता दें कि तीन साल पहले IAS मंगेश घिल्डियाल रुद्रप्रयाग के डीएम बनें थे।
बागेश्वर याद है ना
ये तस्वीर और भावनाएं सामने आ रही हैं यह IAS मंगेश घिल्डियाल के साथ पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले वह बागेश्वर के जिलाधिकारी रहे हैं। तीन साल पहले जब IAS मंगेश घिल्डियाल का ट्रांसफर बागेश्वर से रुद्रप्रयाग हुआ था जो वो शायद उत्तराखंड ने पहली बार हुआ होगा। डीएम के लिए जिले की जनता सड़क पर उतर आई थी। स्कूल, सरकारी दफ्तर और कॉलेज बंद कर दिए गए थे। विधायक का घेराव किया गया था। छात्र, महिलाएं और अन्य संगठनों से जुड़े हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। लोगों ने सरकार और नेताओं पर तमाम आरोप लगाए थे। उस वक्त डीएम मंगेश ने बागेश्वर में खनन माफियाओं के विरुद्ध कई कठोर फैसले लिए थे। उनकी कार्यशैली में लोगों को बागेश्वर का सुनहरा भविष्य दिखाई देने लगा था। महज सात माह के कार्यकाल में उनकी कार्यशैली ने वो कर दिखाया जो सालों का कार्यकाल नहीं कर पाता है।


अपनी यही कार्यशैली को वो रुद्रप्रयाग लेकर पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने शिक्षा पर जोर दिया। एक बार स्कूल में शिक्षक नहीं था तो डीएम साहब की धर्मपत्नी ने शिक्षक की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया था। केदारनाथ यात्रा सुरक्षा और तमाम व्यवस्थाओं के लिहाज से प्रशासन के लिए चुनौती रहती है लेकिन इन बाधाओं को डीएम ने अपनी टीम के साथ आसानी से पार किया। उनकी कार्यशैली के चर्चे दिल्ली में भी होते हैं। ये सभी बातें बताती है कि अधिकारी की पोस्ट नहीं उसका कर्म उसे विख्यात करता है। उत्तराखंड में IAS मंगेश ने प्रैक्टिली साबित किया है। आज उत्तराखंड में IAS की तैयारी करने वाले सैंकड़ों विद्यार्थी IAS मंगेश घिल्डियाल को अपना आर्दश मानते हैं।